Jan Jagriti Health Educational Welfare Seva Sansthan Patna

Introduction :-

                                                  सामुदायिक स्वास्थ्य साक्षरता सह मानव प्राथमिक कार्यक्रम |

Directed By Jan Jagriti Health Educational Welfare  Seva Sansthan Patna Under Government Act Registration Number Head Office Gardnibag Yarpur Patna .

सचिव  - संतोष कुमार पाठक

अनुअध्यक्ष कार्यकर्ता  - विनीत कुमार

Mob No 8709925207






Higen (स्वास्थ्य विज्ञान):-

विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां मिलती है उसे स्वास्थ्य विज्ञान कहते हैं |

Health (स्वास्थ्य) :-

                               स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का विकास होता है एवं स्वस्थ मन ही शरीर के सारे गतिविधियों को नियंत्रित करता है अतः कहा गया है स्वास्थ्य ही मानव का सर्वोत्तम पूंजी है |

Human Body (मानव शरीर):-

                                                         मानव शरीर एक मानव निर्मित मशीन की भांति प्राकृतिक संपदा है जिस प्रकार एक मशीन में छोटे बड़े नोट वोल्ट एवं पार्ट पुर्जे होते हैं तथा उसे कायम रखने के लिए ईंधन की आवश्यकता पड़ती है ठीक उसी प्रकार मानव शरीर में छोटे बड़े अंग हैं जिसे कायम रखने के लिए पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है जो आगे अग्र लिखित है |

Carbohydrate ( स्रोत ):- 

                                    चावल, मक्का ,बाजरा, चना आदि |

Protein स्रोत ):-  

                             दाल ,सोयाबीन, दूध आदि |

Washa स्रोत :-

                             तेलीय ,पदार्थ, मांस, मछली आदि |

Vitamin स्रोत :- 

                            फल ,सूखे मेवा आदि |

खनिज लवण :-

        मनुष्य जो भी भोज्य पदार्थ ग्रहण करते हैं उससे खनिज लवण मिल जाता है |

Air (हवा) :-

                   जीवित रहने के लिए हवा की जरूरत होती है |

Water (पानी) :-

                  जल ही जीवन है मानव शरीर में 70 % पानी होता है |

Brain (मस्तिष्क):-

                             मानव शरीर में केंद्रीय सूचना प्रसारण तंत्र का नाम मस्तिष्क है। एक वयस्क एवं स्वस्थ व्यक्ति के मस्तिष्क का वजन लगभग 1400 ग्राम का होता है मानव मस्तिष्क में मेडुला में एक विशेष प्रकार का हारमोन स्राव होता है जिसे सलकस एवं गायरस के नाम से जाना जाता है जिस व्यक्ति में यह हारमोंस आल्प स्राव  होता है। वह मंदबुद्धि वह पागल होता है।

Lungs (फेफड़ा) :-

                                   मानव शरीर में एक जोड़ा गुलाबी रंग के शंकु आकार थैलियों में फेफड़ा होता है जिसे दाएं ऊतक व बाएं उत्तक के नाम से जाना जाता है । इन दोनों उत्तकों में लगभग 300 करोड़ वायु पुष्टिकाए होती है। जो श्वास लेने व छोड़ने में सहायक हैं जब मनुष्य अधिक मात्रा में मद्यपान या धूल धुआं भरे वातावरण में व्यक्ति लंबे समय तक रहता है तो वायु पुष्टिकाए अवरुद्ध होने लगते है जिसके फल स्वरुप मनुष्य श्वसन रोग से ग्रसित होने लगता है |

Heart (हृदय):-

मानव शरीर में रुधिर परिसंचरण तंत्र का नाम हृदय है । हृदय मुख्य रूप से दो प्रकार से काम करता है ------------

                     संकुचन अनुसीथिलन

                                         सामान्य अवस्था में एक स्वस्थ एवं वयस्क व्यक्ति का हृदय प्रति मिनट 72- 80 व गति अवस्था में 180 बार धड़कता है । हृदय प्रत्येक धड़कन में 70 ml रक्त शुद्ध करता है इस प्रकार मनुष्य के शरीर के रक्त प्रति मिनट शुद्ध होते रहते हैं हृदय के इस धड़कन से उत्पन्न होने वाले ध्वनियों को रक्तदा कहा जाता है एवं स्वास्थ्य वयस्क व्यक्ति का रक्तदाब 120/80 mm of Hg होता है (मिलीमीटर ऑफ मरकरी) और रक्तदाब मापक Stalagmometer  है इसे मनुष्य के सदैव बाएं हाथ में लगाया जाता है।

Liver (यकृत ) :-

                             मानव शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम लीवर है एक स्वास्थ्य एवं व्यस्त व्यक्ति का यकृत का वजन लगभग 1.5 Kg का होता है | यकृत का सबसे निचले भाग में नाशपाती के समान पिताशय होता है जिसकी वाहिनी यकृत से जुड़ी होती है जो भोजन से हुए निर्माण रक्त में उपस्थित Billoribin (पित्त) को छनाई करके पिताशय में पहुंचने का कार्य करता है | जब मनुष्य अधिक मात्रा में तीखे मिर्च मसाला तेलीय पदार्थ मांस मछली अल्कोहल का सेवन करने लगते हैं तो यकृत कोशिकाएं अवरुद्ध होने लगती है जिसके फल स्वरुप मनुष्य पीलिया रोग से ग्रसित होने लगते हैं  |

Kidney :-

                     मानव शरीर में एक जोड़ा शेम की बीज की भांति वृक होता है। एक स्वास्थ्य एवं वयस्क व्यक्ति का प्रत्येक वृक 3 inch लंबा 2 inch चौड़ा वह 1.5 inch मोटा होता है । वृक अपशिष्ट पदार्थ तथा तरल पदार्थ को अपने ओर अवशोषित कर यूरिन मार्ग से बाहर निष्कासन का कार्य करता है।

RBC (लाल रक्त कणिकाएं):- 

                                                             ये कणिकाएं मानव शरीर में ऑक्सीजन का संवहन तथा को का निर्वहन मांसपेशियों व हड्डियों में गतिशीलता के साथ-साथ अपशिष्ट पदार्थ जैसे मल मूत्र पसीना को बाहर निष्कासन करने  का कार्य करता है ।

  • एक स्वस्थ एवं वयस्क व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर,फीमेल 12- 14, Male 14-16 होता है ।
WBC (श्वेत रक्त कणिकाएं) :-
                                                        यह कणिकाएं मानव शरीर में सुरक्षा कवच की भांति कार्य करता है साथ ही शरीर में प्रवेश करने वाले हानिकारक जीवाणु को रोकता है एक स्वस्थय एवं वयस्क व्यक्ति के शरीर में श्वेत कणिकाओं की संख्या लगभग 10000 होता है ।

प्लेटलेट्स :-
                      यह कणिकाएं मानव शरीर में रक्त बहाव को रोकने के साथ-साथ रक्त को थक्का बनाने में सहायक है एक स्वस्थ एवं वयस्क व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या लगभग 1.5 लाख से 4.5 लाख तक होता है ।

मनुष्य में रक्त का आदान-प्रदान :-
                                                                      सन 1900 ई  में लेंड एस्टीनर के द्वारा यह ज्ञात हुआ कि मनुष्य के RBC रक्त में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है जिसमें दो Antigen A एवं B निरूपित है ठीक इसी प्रकार WBC में भी एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है जिसमें दो Antibody AB एवं O निरूपित है इस प्रकार मनुष्य के शरीर में चार प्रकार का रक्त समूह होता है ।
                                    सन 1946 ई में लेंड एस्टीनर व विनर के अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ कि मनुष्य की RBC रक्त में एक विशेष प्रकार का फैक्टर पाया जाता है जिस RH फैक्टर कहा जाता है । RH का अर्थात रिशिस एक बंदर का नाम था और यह अनुसाधना उसी पे किया गया था अतः इस अनुसाधना के नाम RH फैक्टर कर दिया गया जिस व्यक्ति में यह फैक्टर पाया जाता है उसे RH सहित पॉजिटिव कहा जाता है।

Blood Group

Antigen

Antibody

A

A

B

B

B

A

AB

AB

×

O

×

AB


चुकी ब्लड ग्रुप O वाले व्यक्ति को सार्वभौमिक दानकर्ता कहा जाता है करण की इस व्यक्ति के रक्त समूह में कोई एंटीजन नहीं है इसलिए यह व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को अपना रक्त आसानी से दे सकते हैं ।ठीक इसी प्रकार AB ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को सार्वभौमिक ग्रहण करता कहा जाता है करण की इस व्यक्ति के रक्त समूह में कोई एंटीबॉडी नहीं होता है इसलिए यह व्यक्ति किसी से भी अपने लिए रक्त आसानी से ले सकता है ।

  • लक्षण के आधार पर रोग पांच प्रकार के होते हैं----------
साधारण रोग :-
वैसा रोग जो खान-पांन व एकाएक मौसम परिवर्तन के कारण होता है उसे साधारण रोग कहते हैं ।जैसे साधारण बुखार, सर्दी, खांसी व लूजमोशन का हो जाना ।
संक्रामक रोग :-
वैसा रोग जो एक व्यक्ति के शरीर से दूसरे व्यक्ति के शरीर में जीवाणु, विषाणु व खानपान के जरिए तेजी से प्रवेश कर जाएं उसे संक्रामक रोग कहते हैं। जैसे कोरोनावायरस टाइफाइड बुखार छय रोग etc.

जन्मजात रोग  :-
वैसा रोग जो शिशु को गर्भावस्था में ही प्रकोपित कर ले उसे जन्मजात रोग कहते हैं। जैसे जॉन्डिस निमोनिया विकलांग etc.
अनुवांशिक रोग :- 
वैसा रोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है उसे अनुवांशिक रोग कहते हैं जैसे दम्मा, घेगा, क्षय रोग |
उपार्जित रोग :-
 वैसा रोग जो व्यक्ति अपने शरीर में अपने आप उत्पन्न कर ले उसे उपार्जित रोग कहते हैं जैसे सड़क दुर्घटना ।

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